आर्टिस्ट : गुलशन कुमार
🪔🪔🪔
श्री गुरु चरण सरूजा रज
निजा मनु मुकुरा सुधारी |
बरनौ राहुभरा बिमला यश:
जो दयाका फला चारी |
बुद्धि-हीन थानु जननिकाय:
सुमिरो पवन कुमारा |
बाला-बुद्धि विद्या देहू मोही
हरहु कलेश विकार ||
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जय हनुमान ज्ञान गुण सागर |
जय कपिस तिहुं लोक उजागर ||
राम दूत अतुलित बल धाम:
अंजानी-पुत्र पवन सुत नामा ||
महाबीर बिक्रम बजरंगी |
कुमाती निवार सुमति के संगी ||
कंचन वरण विराज सुबेसा|
कानन कुंडल कुंचित केशा ||
हाथ वज्र और धुवजे विराजे |
कांधे मूंज जनेहु सजई ||
शंकर सुवन केसरी नंदन |
तेज प्रताप महा जग वंदन ||
विद्यावान गुण अति चतुर |
राम काज करीब को आतुर ||
प्रभु चरित्र सुनीबे-को रसिया |
राम लखन सीता मन बसिया ||
सुषमा रूप धारी सियाही दिखवा |
बिकत रूप धारी लंक जारवा ||
भीम रूप धारी असुर संघरे
रामचंद्र के काज सांवरे |I
लाए संजीवन लखन जियाये |
श्री रघुवीर हरशी उर ले |
रघुपति किन्ही बहुत बदाई |
तुम मम प्रिये भारत-ही-सां भाई
सहस बदन तुम्हारा यश गावे |
आसा-कही श्रीपति कंठ लगावे ||
संकधिक ब्रह्मदि मुनीसा |
नारद-सरद साहित अहीसा ||
यम कुबेर दिग्पाल जहां ते |
कवि कोविद कहीं खातिर कहां ते ||
तुम उपकार सुग्रीवाहिन किन्हा |
राम मिलाये राजपद दीन्हा ||
तुम्हारा मन्त्र विभीषण मनः
लंकेश्वर भये सुब जग जाना |
युग सहस्त्र जोजन पर भानु |
लील्यो ताही मधुर फाल जानू |I
प्रभु मुद्रिका मेली मुख माही |
जलाधी लंगी गए अचराज नहीं ||
दुर्गम काज जगथ के जेटे |
सुगम अनुग्रह तुम्हारे तेते |l
राम द्वारे तुम रखवारे |
होत न अगया बीनू पैसेरे ||
सुब सुख लहे तुम्हारी सर नां
तुम रक्षक कहू को डर ना |
आपन तेज समरो आपे |
तीनो लोक हां ते कानपाई |l
भूत पिसाच निकत नहीं आवै
महावीर जब नाम सुनावे |I
नसे रोग हरे सब पीरा |
जपत निरंतर हनुमंत बीरा |
संकट से हनुमान चुड़ावे |
मन करम वचन ध्यान जो लावई ||
सब पर राम तपस्वी राजा |
तीन के काज सकल तुम साजा ||
और मनोरथ जो कोई लवई |
सोही अमित जीवन फल पवई ||
चारों युग प्रताप तुम्हारा |
है पर सिद्ध जगत उजियारा |
साधु संत के तुम रखवारे |
असुर निकंदन राम दुल्हारे |
अष्ट-सिद्धि नव निधि के धाता |
अस-वर दीन जानकी माता ||
राम रसायन तुम्हारे पसा |
सदा रहो रघुपति की दशा |
तुम्हारे भजन राम को पवई |
जन्म-जन्म के दुख बिसरवाई |
अंत-काल रघुवीर पुर जाये|
जहां जनम हरि-बख्त कहानी |
और देवता चित न धरेही |
हनुमंत से ही सर्वे सुख करेही |I
संकट कटे-माइट सब पीरा |
जो सुमिराई हनुमत बलबीरा ||
जय जय जय हनुमान गोसाहिन |
कृपा करहु गुरुदेव की नहीं |I
जो सत बार पथ करे कोही |
छुटी बंधी महा सुख होही ||
जो या पढे हनुमान चालीसा |
होए सिद्धि सखी गौरीसा ||
तुलसीदास सदा हरि चेरा |
कीजई नाथ हृदय में डेरा ||
कीजई नाथ हृदय में डेरा।।।
पवन तनय संकट हरणा
मंगला मुराती रूप |
राम लखना सीता सहिता
हृदय बसहु सूर भूप ||
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